कोरोना काल में सबको छोड़ा गया, बड़े-बड़े हाई कोर क्रिमिनल को छोड़ा गया, हाईपावर कमेटी, सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन थी, हॉनरेबल हाई कोर्ट की गाइडलाइन थी लेकिन बापू आशारामजी को नहीं छोड़ा गया और आप बात करते हैं जस्टिस फॉर ऑल !

ए. पी. सिंह, वकील, सुप्रीम कोर्ट

मैं ये अपील करती हूँ कि सिर्फ आशाराम बापू के लोग ही नहीं, आशाराम बापू के लोग तो इस जजमेंट को चैलेंज करें जरूर और उनके साथ जो अन्याय हुआ है उसे हाईकोर्ट समझे और इस जजमेंट को set aside करें लेकिन साथ ही सब लोग इस जजमेंट पर आवाज़ उठाए क्योंकि अगर ये अन्याय आज आशाराम बापू के साथ हुआ है तो कल को आप में से किसी और के साथ भी हो सकता है क्योंकि अगर कोई जजमेंट नजीर बनती है तो उसी नजीर को आगे चलकर दूसरी कोर्ट भी फॉलो करती हैं ।

कीर्ति आहूजा, वकील, सुप्रीम कोर्ट

एक संत जेल में हैं, सिर्फ इसलिए कि वो संत रास नहीं आया सत्ता को । सत्ता, ज्यूडिशियरी इन सबमें इतना घालमेल है कि सत्ता ज्यूडिशियरी के माध्यम और ज्यूडिशियरी में आने वाले लोग सत्ता के माध्यम से एक इस तरह का कॉकस बनाएं हैं कि यहां आपको संत जेल में मिलेंगे और बाकि लोग बेल पे ।

धर्मेंद्र मिश्रा, वकील, सुप्रीम कोर्ट

आप कोई भी और केस देख लीजिए, इससे नकली केस मैंने अपनी जिंदगी में आज तक नहीं देखा है ।

धर्मगुरूओं पर तो प्रहार पहले भी हुआ है, उनको झेलना पड़ा है । समाज के लिए बापू भी दर्द ले रहे हैं क्योंकि जो बातें बापू सिखाते हैं षड्यंत्रकारी नहीं चाहते कि बापू वो सिखाये, वो नहीं चाहते कि बापू Hinduism की बात करें, वो नहीं चाहते कि Tribal Areas में बापू जाये । वो नहीं चाहते कि बापू दिखाये कि वेलेंटाइन ना मनाओ और मातृ पितृ पूजन दिवस मनाओ । ये सब बातें इन लोगों से बर्दाश्त नही होती और इन बातों को रोकने के लिए ही ये ऐसे नकली केस बनाते हैं ।

इशकरण भंडारी, वकील, सुप्रीम कोर्ट

मैंने FIR देखी है, मेडिकल रिपोर्ट देखी है, जो बयान हुए हैं, उनको पढ़ा है । उसके आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि केस बिल्कुल बनावटी है, केस में फँसाया गया है ।

हरिशंकर जैन, वकील, सुप्रीम कोर्ट

पूज्य बापूजी को बदनाम करने के लिए झूठा केस लगवाया गया है।

शीराज कुरेशीजी, वकील, हिन्दू-मुस्लिम एकता मंच के महासचिव

आनेवाले समय में यह बात समाज के सामने आयेगी कि संत आशाराम बापू का केस झूठा था । उनको जो सजा दी गयी वह गलत थी । मीडिया या हिन्दू-विरोधी लोगों द्वारा एक माहौल बनाया जाता है कि हमारे संत ऐसी-ऐसी चीज में शामिल हैं।

विष्णुशंकर जैन, वकील, सर्वोच्च न्यायालय