पूज्य बापूजी के खिलाफ रचे गये झूठे केस के कुछ सत्य तथ्य

मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं:

बापूजी को आजीवन कारावास की सज़ा रेप और गैंगरेप में दी गई है लेकिन लोकनायक अस्पताल, नई दिल्ली मे आरोपकर्ता लड़की की मेडिकल रिपोर्ट पूर्णतः नॉर्मल पायी गई ।

लड़की की मेडिकल रिपोर्ट :

No physical assault

No erythema

No bite marks

No swelling

No abrasion

No penetration

No loss of consciousness

Hymen intact

पूज्य बापूजी तथाकथित घटना स्थल पर नहीं थे मौजूद..

15/08/2013 की तथाकथित घटना की रात पूज्य बापूजी 50-60 लोगों के बीच पहले 9:00 से 10:30 बजे तक सत्संग कर रहे थे । सत्संग के बाद पूज्य बापूजी के समक्ष पुणे व सुमेरपुर के परिवारों के बीच मँगनी का कार्यक्रम हुआ तत्पश्चात झुलेलालजी की झांकी निकली थी । बापूजी ने दोनों परिवारवालों को रात 11:30 बजे आशीर्वाद दिया था  ।  वहां उपस्थित व्यक्तियों की न्यायालय में हुई गवाही एवं उस समय के फोटोग्राफ इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है । लड़की और उसके माता-पिता के बयानों के अलावा इस तथ्य के विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है ।

लड़की कभी कुटिया में गयी ही नहीं

20 अगस्त 2013 को लड़की द्वारा लिखी गयी FIR में कुटिया के अन्दर का यानि तथाकथित घटना के स्थान का वर्णन नही है । FIR के बाद 21 अगस्त को NGO के सामने हुए बयान तथा उसके बाद मजिस्ट्रेट के सामने हुए (u/s 164) बयानों में भी कुटिया का वर्णन नही है । यह वर्णन सबसे पहले किया गया है 22 अगस्त को हुए पुलिस बयानों (u/s 161) में । अर्थात लडकी को 22 अगस्त तक कुटिया के अंदर की जानकारी नहीं थी…

लड़की के मोबाइल कॉल डिटेल्स बोल गये हकीकत

जजमेंट के पैरा न. 339 में माननीय न्यायाधीश ने यह स्वीकार किया है कि लड़की के 15/08/2013 के कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स यह दर्शाते हैं कि कथित घटना के समय लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति के साथ फोन से संपर्क में थी । इन दोनों के बीच दोपहर 1:43 से रात 12:04 तक 17 बार संपर्क हुआ है और एक महीने में 1055 मैसेज का आदान-प्रदान हुआ है । अगले दिन  16 अगस्त को भी लड़की उसी व्यक्ति से कई बार फ़ोन पर संपर्क में थी । जिस कॉल डिटेल रिकॉर्ड को जजसाहब ने जजमेंट में प्रमाणित/ साबित (prove) माना उसी कॉल डिटेल रिकॉर्ड में दिखाई दे रहे तथाकथित घटना की रात के कॉल्स को लड़की ने अपने कोर्ट में हुए बयानों में नकारा ।

इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने छुपायी तथाकथित घटना के दिनों की कॉल डिटेल

बापूजी की निर्दोषता का यह सत्य जिस नम्बर की कॉल डिटेल से उजागर हो रहा था, अनुसंधान अधिकारी चंचल मिश्रा ने उस नंबर की पूरे अगस्त महीने की कॉल डिटेल रिकोर्ड प्राप्त की थी लेकिन न्यायालय में प्रस्तुत करते समय 1२ अगस्त से 17 अगस्त 2013 के बीच की कॉल डिटेल्स हटाकर लगाई । अर्थात तथाकथित घटना के 2 दिन पहले एवं 1 दिन बाद तक की कॉल डिटेल हटाकर चार्जशीट में लगाई गई । पूज्य बापूजी की तरफ से बचाव पक्ष ने लड़की के फोन की इस समयावधि की कॉल डिटेल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करवाने के लिए जोधपुर के सेशन व उच्च न्यायालय में कई अर्जियां लगायी लेकिन न्यायालय द्वारा हर बार उसे खारिज़ किया गया |

बचाव पक्ष ने प्रस्तुत की संदिग्ध व्यक्ति की कॉल डिटेल

जब लड़की की कॉल डिटेल उपलब्ध नही हो पायी तब लड़की तथाकथित घटना के समय जिस व्यक्ति के साथ फोन पर सम्पर्क में थी उस व्यक्ति की कॉल डिटेल बचाव पक्ष द्वारा न्यायालय के सामने प्रस्तुत की गई एवं सम्बंधित नोडल ऑफिसर के बयान द्वारा उसे प्रमाणित भी किया गया । इससे 15 अगस्त की तथाकथित घटना के समय, उससे पूर्व तथा उसके पश्चात लड़की किसी संदिग्ध व्यक्ति के साथ फोन पर सम्पर्क में थी यह बात न्यायालय के समक्ष सबूत के साथ आ गयी तथा यह भी स्पष्ट हुआ कि लडकी ने न्यायालय में शपथपूर्वक झूठी गवाही दी है |इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर चंचल मिश्रा ने लड़की के पिता की कॉल डिटेल रिकॉर्ड को भी फ़िल्टर करके सिर्फ सह आरोपी शिवा के साथ हुई बातचीत की कॉल डिटेल चार्जशीट में प्रस्तुत की, बाकि की कॉल डिटेल्स गुप्त रखी  |

इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने मिटाए लड़की की वीडियोग्राफी के सबूत :

FIR लिखते समय लड़की की विडियोग्राफी की गयी थी लेकिन वह न्यायालय के रिकॉर्ड पर नहीं है । संदेहास्पद तरीके से उस विडियोग्राफी को गायब कर दिया गया । इसी प्रकार लड़की के पुलिस बयान में कथित घटना स्थल पर हुई ढाई घंटे की विडियोग्राफी को 16 मिनट का करके कोर्ट में प्रस्तुत किया गया । यह DVD जब कोर्ट में चलायी गयी तब उसमे 13 बार आवाज और पिक्चर के interruptions पाये गये । जिससे स्पष्ट होता है कि जांच एजेंसी ने महत्वपूर्ण सबूतों को अपने पक्ष में करने के लिए उनके साथ छेड़छाड़ की है, जोकि एक क्राइम है…

पुलिस ने फॉरेंसिक टेस्ट रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत क्यों नहीं की ?

सरकार के पास लड़की की कुटिया (तथाकथित घटनास्थल) में उपस्थिति सिद्ध करने के लिए जब कोई सबूत एवं गवाह नहीं था, तब इंवेस्टिगेशन एजेंसी को फुटप्रिंट या फिंगरप्रिंट जैसे फॉरेंसिक टेस्ट रिपोर्ट्स न्यायालय में प्रस्तुत करना अनिवार्य था । लेकिन ऐसी कोई रिपोर्ट पुलिस द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत नहीं की गई…

लड़की एक जन्मतिथि अनेक

चूंकि पूज्य बापूजी का केस 5 साल तक POCSO ACT के तहत चला इसलिए पहला व सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह था कि क्या लड़की नाबालिग है ?

बापूजी के पक्ष द्वारा लड़की के बालिग़ होने के सम्बन्ध में 6 महत्वपूर्ण दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किए गए –

पहला – लड़की के प्रथम स्कुल शंकर मुमुक्षु का एडमिशन फॉर्म

दूसरा – रजिस्ट्रेशन फॉर्म

तीसरा- स्कॉलर रजिस्टर

चौथा – लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रपोजल फॉर्म

पाँचवा – राशन कार्ड

साथ ही लड़की के पिता का शंकर मुमुक्षु स्कुल में प्रस्तुत हुआ एफिडेविट…

अंसुलझे तथ्य

लड़की से जब कोर्ट में उसके व बड़े भाई की उम्र में अंतर के विषय में पूछा गया तब उसने बताया कि उन दोनों में करीब चार साल का अंतर है । इस पर बचाव पक्ष (बापू जी के पक्ष) ने लड़की के बड़े भाई की आयु से संबंधित 8 सरकारी दस्तावेज कोर्ट में प्रस्तुत किये और सम्बंधित सरकारी अधिकारियों को कोर्ट में बुलाकर प्रमाणित भी करवाए । उन दस्तावेजों में बड़े भाई की जन्मतिथि इस प्रकार से लिखी हुई है-

लड़की के खुद के बयान और इन सरकारी दस्तावेजों में से किसी में भी लिखी हुई date of birth देखे तो किसी भी प्रकार से लड़की का जन्म 95 के बाद का नहीं सिद्ध होता ! परन्तु, इन सभी प्रमाणों व तर्कों को ठुकराकर मात्र एक unproved matriculation certificate के आधार पर लडकी को नाबालिग माना गया…